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आस्था की ओर बढ़ते कदम
लोक हो गया है। इन्होंने धर्म शिविरों के माध्यम से जैन साधुओं के नियम, जैन साधुओं के भोजन की विधि, वन्दना विधि को सिखाया " ताकि भविष्य में आने वाले साधु साध्वीयों को दिक्कत न आए। इसी समय हमें अणुव्रत परीक्षा व जैन धर्म की परिक्षाओं की तैयारी करवाई जाती। यह शिविर चारित्र निर्माण का आदर्श केन्द्र थे। बच्चे शिविरों के माध्यम से काफी सीखते । यह शिक्षा शिविर मैने तरूणाई की अवस्था में लगाए। इन संतों में श्री जयचंद जी महाराज आज भी गुजरात में धर्म प्रचार कर रहे हैं। यही तीन संतों ने हमें आचार्य तुलसी व जैन धर्म के बारे में समझाया था। इसके साथ उन्होंने मुझे जैन तत्वों व इतिहास का ज्ञान कराया।
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