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-रक्षा की ओर बढ़ते कलम भारत के श्वेताम्बर समाज का प्रमुख संगटन आनदंजी कल्याण जी पेढ़ी का मुख्यालय है। यह पेढ़ी प्रमुख जैन तीथों की व्यवस्था करती है। नए मन्दिरों का निर्माणा, पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार इस पेढ़ी का प्रमुख कर्तव्य है। संसार भर में इस पेढ़ी ने अनेकों मंदिरों के निर्माण में सहयोग दिया है। यह पेटी सन् १८८० में रजिस्टर्ड हुई थी। इसी पेढ़ी ने समेद शिखर तीर्थ खरीद कर श्वेताम्बर समाज को अर्पित किया है। अहमदाबाद में लालभाई दलपत भाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर है। यह जैन शोध संस्थान है जहां पर हजारों ग्रंथ, प्राचीन चित्र, मुर्तियां व प्राचीन सामग्री का संग्रह है। यह शहर जैन का प्रमुख केन्द्र होने के कारण यहां हर सम्प्रदायों के साधु साध्वीयों का विचरण रहता है।
यहां का प्रमुख आकर्षण हटी सिंह का जैन मन्दिर है यह मन्दिर कलात्मक है। इसकी भव्यता देखकर शत्रुजय के मन्दिों का ध्यान आंखों के सामने आ जाता है। यहां हिन्दी गजननी, अंग्रेजी के अनेकों जैन पत्रिकाएं निकलती हैं। कई भोट पत्रिकाएं भी निकलती हैं। सरस्वती पुरतक भण्डार में जैन धर्म के हर विषय पर हर ग्रंथ उपलब्ध हैं।
अहमदावाद जैन मन्दिरों के ईलावा व्यापार का प्रमुख केन्द्र है। यहां का प्रमुख व्यापार कपड़े की मिलें हैं। यहां बड़ी मार्किट है। जहां भारत वर्ष के कपड़े के व्यापारीवों की दुकानें हैं। लापार का केन्द्र होने के कारण धर्मशाला, होटल काफी हैं। यहां पर भद्रफोर्ट, सैयद सिदी जाला, गीता मन्दिर, कांकटिया झील, वाल वाटिका, व झूलती मीनारें दर्शनीय हैं और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
सेट ही सिंह के मन्दिर में मूल नायक प्रभु धनं नाथ सुशोभित हैं। यहां अनेकों स्थानक, उपाश्रय हैं। वैसे तो गुजरात में गृह चालय प्रचूर मात्रा में है गुजरात में जैन
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