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आस्था की ओर बढ़ते कदम
किसी की नजर ना लगे । इसी कारण उन्होंने यह टेढ़ा स्तम्भ लगाया है। इसे उखाड़ने की जरूरत नहीं है ।"
शिल्पीयों के उत्तर से श्रीमती इन्दिरा गांधी अत्यधिक प्रभावित हुईं। उन्होंने शिल्पीयों की श्रद्धा व भक्ति की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। इस प्रकार राणकपूर मन्दिर का कण कण नैसर्गिक सौंदर्य से भरा पड़ा है। यह मन्दिर सत्यं शिवमं सुन्दरं का जीता जागता प्रतीक है। संगमरमर से बना यह मन्दिर धरती पर प्रभु भक्तों का तीर्थ है। देशी विदेशी पर्यटकों के लिए पर्यटन स्थल है। यहां तीर्थ के मन्दिरों फोटो लेना वर्जित है। यहां हर रोज यात्रीयों व श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। अभी अभी कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने इस मन्दिर की यात्रा की। वह भी इस की कला से बहुत प्रभावित हुई । हमारी राणकपूर यात्रा
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हम नाथ द्वारा से चले थे। रास्ते में कई स्थलों को देखते हमें शाम हो चली थी । धकावट बहुत ज्यादा थी भयंकर गर्मी पड़ रही थी । मन्दिर को देख कर सारी गर्मी भूल चुके थे। हम ने धर्मशाला में सामान टिकाया। फिर स्नान कर खाना खाया। शाम की भव्य आरती में शमिल हुए। यहां राजस्थानी व गुजराती भक्तों की भरमार थी। पंजावी तो हम दो ही थे। व्यवस्थापकों का प्रबंध सुन्दर था । यह सुन्दर व्यवस्था भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। रात्रि को राजस्थानी, गुजराती वेशभूषा में लोग घूम रहे थे। यहां अथाह शान्ति मिलती है । मन्दिर में प्रवेश करते एक अलौकिक अनुभव घटित होता है । ५० साल तक इस भव्य निर्माण, इस पर लगा करोड़ों का द्रव्य प्रभु ऋषभदेव के प्रति सेट धरणीशाह के समर्पण व श्रद्धा का प्रतीक है। राजस्थान के
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