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પામ્યા હી વોર તો બે देखने को मिली, फिर अलग-अलग देवी-देवताओं के मन्दिर देखते दोपहर हो गई । यहां व्यापक नीड़ थी ।
वापसी में सोनी जी की नसिया में आये । यहां विशाल जैन मन्दिर है, यहां दिगम्बर सम्प्रदाय ने अयोध्या नगरी की सुन्दर रचना की है । यह नगरी भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि है । इस मन्दिर में जैन इतिहास की घटनाओं का सुन्दर चित्रण है । इसके अतिरिक्त मैंने वे सभी स्थान देखे जिसका मैंने वर्णन पीछे किया है । सोनी जी की नसिया मन्दिर की भव्यता, कला अपने आप में इतिहास है । अजमेर ने वहुत से देशभक्तों को जन्म दिया, इसमें देश की शान पर मिटने वाले श्री अर्जुन दास सेटी इस नगर की शान थे । अजमेर की यात्रा मेरे जीवन की उपलब्धि है । विशेष रूप से अजमेरी खवाजा, दादवाड़ी व सोनी जी की नसिया देखने के बाद मेरी धर्म के प्रति आस्था को नया आयान मिला । नाथद्वारा की यात्रा :
राजस्थान में नाथद्वारा तीर्थ हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ है । यह मन्दिर भगवान कृष्ण को समर्पित है । मुस्लिम काल में जव प्रतिमाएं तोड़ी जा रही थी इस प्रतिमा को एक भक्त ने रथ में सवार किया ! ह वृंदावन से चला । एक स्थान पर टहरा । रात्रि को उस भक्त को स्वप्न में भगवान कृष्ण ने दर्शन दिये । उसे आदेश हुआ कि मेरी प्रतिमा को रथ में सवार कर मरु भूमि में ले जाओ जहां यह रथ स्वयं चले रुके, तव वहां मेरा मन्दिर वनाकर स्थापित कर देना । भक्त ने भगवान के आदेश का पालन किया, उसने प्रतिमा को रध पर सवार किया । रथ बढ़ने लगा । प्रतिमा का प्रभाव धा कि कोई आक्रमणकारी इसे खंडित नहीं कर सका, रथ ने मरुभूमि में प्रवेश किया । एक जंगल में रथ स्वयमेव रुक
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