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- आस्था की ओर बढ़ते कदम इसका मुकुट पुष्करधाम है । पुष्कर तीर्थ का हिन्दू पुराणों में वहुत गुणगान गाया गया है । विदेशी पर्यटक पुष्कर के मेले में दस दिन तक टिके रहते हैं । हमारा अजमेर भ्रमण :
हम जयपुर से अजमेर पहुंचे । हमें पता चला कि यहां से राणकपुर को छोटा रास्ता जाता है, पर हमारी वस रात्रि को अजमेर पहुंची । हमने सबसे पहले अजमेरी ख्वाजा की दरगाह पर जाना टीक समझा, यह दरगाह बस स्टैंड से नजदीक पड़ती थी, रात्रि के ८ वज चुके थे । इस कारण हम अजमेर के दो स्थान पर गये । एक दरगाह, दूसरा अढ़ाई दिन का झोंपड़ा :
___ दरगाह में वेहद भीड़ थी, यह भारत की पुरानी दरगाह मानी जाती है । हर जाति, धर्म के लोग यहां श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं । इस दरगाह का इतिहास भारत में मुरलमानों के इतिहास से शुरु हो जाता है । विशाल परिसर है, जहां अकवर द्वारा दान दी गई इतिहासिक दो देगें हैं जहां श्रद्धालु चावल, गुड़ डालते रहते हैं । यहां लंगर चौवीस घण्टे चलता है । इस लंगर को प्राप्त करने लम्बी-लम्बी लाईनें लगी हुई थी । एक व्यक्ति सीढ़ी द्वारा देग तक पहुंचा हुआ था । एक बड़ी देग है, दूसरी छोटी । दोनों देगें कभी खाली नहीं रहती । यहां सेवा करने वालों को खादिम कहा जाता है । यह पण्डों से कम नहीं, हर समय कव्वालियां चलती रहती हैं । सारी कव्र के आसपास चांदी का विशाल परिकोटा है । इस दरगाह में गये तो खादिमों ने हमें घेर लिया । एक खादिम ने हमारे द्वारा श्रद्धावश समर्पित चादर को मजार पर चढ़ाया । फिर हमारे हक में दुआ की । दरगाह एक विशाल वाजार में वनी है । जहां वहुत भीड़ रहती है । हर प्रान्त व
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