________________
=ા શ ોર લઇને હમ तारागढ़ पहाड़ पर एक दुर्ग है, जिसका निर्माण १५७० में अकबर ने किया था । सफेद संगमरमर से बना अब्दुल्ला खां का मकबरा दर्शनीय स्थल है । दो पहाड़ों के बीच लुनी नदी पर कृत्रिम झील झरना सागर वनाई गई है । जहांगीर ने यहां एक सुन्दर उद्यान दौलत वाग का निर्माण करवाया । १६३७ में शाहजहां ने मरमरी दीवारों पर चार सुन्दर छत्र और संगमरमर लगवाया । यहां एक साई वावा का मन्दिर अभी वना है । अजमेर से मात्र ११ कि.मी. दूरी पर उत्तर पश्चिम में १५३६ फीट की ऊंचाई पर हिन्दुओं का पुष्कर तीर्थ है । अजमेर व पुष्कर के वीच नाग पहाड़ सीमा रेखा का काम करता है । पुष्कर के दो बस स्टैंड हैं । यह तीर्थ एकमात्र ब्रह्मा मन्दिर के लिये प्रसिद्ध है । इस तीर्थ पर अन्य मन्दिर हैं, जिनकी संख्या ५०० से अधिक हैं ।
पुष्कर में .२ घाट हैं । प्रतिवर्ष अक्तूबर-नवम्बर में १० दिनों का मेला लगता है । भव्य माता का मन्दिर चारों
ओर से सौरम्य वातावरण से घिरा हुआ है । इसी मन्दिर के निकट अजमेर के दिगम्बर जैन सम्प्रदाय की छत्रियां व चवूतरों के भव्य दर्शन होते हैं । पुष्कर झील के दूसरी ओर सावित्री पहाड़ है । तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को यह सीधा मन्दिर अपनी ओर आकर्षित करता है । यहां सावित्री देवी व सरस्वती की पूजा होती है । पूजा सिर्फ महिलाएं ही कर सकती हैं । पुरूपों को यहां पुजा करने का अधिकार नहीं ।
वस स्टैंड से थोड़ी दूरी पर रंगनाथ मन्दिर है जो द्राविड़ शैली का है । मन्दिर का सोने का कलश भी दर्शनीय है । यह मन्दिर पुष्कर की शान है । अजमेर में कावर मार्ग पर मां लिपावास में १०० वर्ष प्राचीन दो कल्पवृक्ष हैं । ऐसा
माना जाता है कि १२ वषों में एक वार दो तरह के पुष्प यहां _लगते हैं । अजमेर पहाड़ियों से घिरा सुन्दर करवा है ।
430