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=ામ્યા વોર વહતે બ हमारी वस रुक गई । यहां सभी. वसे आध घण्टे तक टहरती हैं । खाने के इलावा चाय काफी का अच्छा इंतजाम है । हमने यहां परोसा जाने वाला खाना खाया । कुछ ही समय के बाद हम जयपुर पहुंचे । रात्रि के दो वजे हम होटल में पहुंचे । यहीं कान्फ्रेन्स का आयोजन था । रात्रि को भी नहावीर इंटरनैशनल के कार्यकर्ता वैठे थे । यह भव्य होटल एक विशाल परिसर में स्थित था । यहां हर प्रकार की व्यवस्था प्रवन्धकों ने कर रखी थी । कान्फ्रेन्स में आने वालों को जयपुर दिखाने की व्यवस्था उन्होंने कर रखी थी । हमें टीक कमरा दिलवाया । गर्मी के दिन थे, पर राजस्थान में जितनी गर्मी पड़ती है, उतनी ही रात को टंड होती है । अब रात्रि थी, खाने का कोई समय नहीं था, चाय का कोई समय नहीं था । ऐसे में हमने कुछ आराम करना ठीक समझा । रात्रि के चार बजे रहे थे । हम सैर करने की नीयत से वाहर निकले । एक स्थान पर चाय मिल गई, चाय पीकर हम होटल आ गये । आचार्य श्री तुलसी जी के दर्शन :
मेरे गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी जी व वर्तमान आचार्य श्री महाप्रज्ञ साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा एक भव्य स्थल पर विराजमान हैं । हमें उनका पता चला, सोचा कि पहले अपने गुरुदेव के दर्शन किये जायें । काफी समय से उनके दर्शन नहीं किये थे । पंजाब में विचरण के बाद उनके दिल्ली में दर्शन करने का अवसर दो-तीन वार मिला था । वाद में लम्बे अन्तराल के बाद उनके दर्शन का यह अवसर था, वैसे मैंने आचार्यश्री तुलसी के दर्शन जैन विश्व भारती लाडनू में कई वार किये हैं । लांडनू आचार्यश्री की जन्मभूमि है । यहां के अनेकों साधु-साध्वियां तेरापंथ जैन संघ की शान है ।
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