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- आस्था की ओर बढ़ते कदम श्वेताम्बर समाज के नाम है । इस तीर्थ को यहां के महाराजा से पेढी ने खरीदा था । वैसे मुगल काल में अनेकों बादशाहों
ने इस तीर्थ पर शिकार पर पाबन्दी लगाई धी, अब इस क्षेत्र __में पूर्ण शिकार पर प्रतिबंध है । तीर्थदर्शन :
मधुवन में आठ श्वेताम्बर मन्दिर हैं, दादावाड़ियां हैं । ___ एक भोमिया जी का मन्दिर सर्वमान्य है । उन्हें तीर्थरक्षक
माना जाता है । दिगम्बर धर्मशाला में भी मन्दिरों का भी भव्य समूह है । यहां अनेकों चैबीसी के तीर्थकर आए, यह उनकी याद दिलाती है । यहां १७ जिनालय हैं, एक पार्श्वनाथ कल्याण केन्द्र है, एक. जैन म्युजियम है जो जैन मंदिर की संस्कृति का प्रहरी है । यहां मधुवन की रौनक देखते ही बनती है । समस्त विश्व के जैन यात्री यहां बिना भेदभाव से आते हैं, अपनी-अपनी विधि अनुसार पूर्जा अर्चना करते हैं । यह गुजराती जैन समाज का भव्य व कलात्मक मंदिर है ।
पहाड़ के ऊपर की यात्रा दिगम्बर भाई रात्रि के दो बजे आरम्भ करते हैं, श्वेताम्बर ४ वजे करते हैं । ऐसा यहां की पूजा व्यवस्था कोर्ट ने तय कर रखी है । यात्रीगण भक्ति भाव से पूजा करके जीवन सफल करते हैं । पहाड़ों की ऊंची उग्र सघन वनों से गुजरती है । अंतिम तीन कि.मी. की चढ़ाई कठिन है । ६ कि.मी. चढ़ाई है । ६ कि.मी. मंदिरों टोकों का परिसर है, ६ कि.मी. उतराई है । इस प्रकार पर्वत पर कुल २७ कि.मी. चढ़ाई उतराई है ।
पार्श्वनाथ स्टेशन पर हर ट्रेन रुकती है, वहां धर्मशाला __ में बसों के रुकने की सुन्दर व्यवस्था है । यहां का हर ___ कण-कण पूज्नीय है । कम से कम एक हजार यात्री
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