________________
आस्था की ओर बचने क
आप में एक ऐसी संस्था है जो कला, सांस्कृति, इतिहास, साधना, सेवा व साहित्य का संगम है । यहां हम रात्रि के वजे पहुंचे । सर्वप्रथम गुरुदेव श्री अमरमुनि जी म० के दर्शन किये । रात्रि काफी हो चुकी थी, हमने उन्हें अपने आने की सूचना दी । उनके एक शिष्य ने हमें कविश्री के साहित्य भण्डार के दर्शन करवाये । हमने उनके कुछ प्रकाशन खरीदे ।
.
मुझे यहां एक घटना का संस्मरण आता है जब मेरे धर्मभ्राता रवीन्द्र जैन ने कहा, "गुरुदेव मैं मालेरकोटला से आया हूं ।” गुरुदेव ने अन्दर से फुरमाया, "क्या साथ में पुरुषोत्तम है तो अच्छी बात है ।" मैंने हामी भरी । मैंने उन्हें बताया कि मैं आपके दर्शनों के लिये विशेष रूप से आया हूं । गुरुदेव ने कहा- “भैया रात्रि हो चुकी है, कल मिलेंगे, खूवं वातें करेंगे, अभी तुम सो जाओ ।" हमने गुरुदेव को पुनः वन्दन किया और अपने रहने की व्यवस्था के स्थान पर चले गये ।
वीरायतन में रहने, घूमने व भोजन की सुन्दर व्यवस्था है । राजगृही हर प्रकार से इतिहासिक स्थल है । यह मात्र जैनों का नहीं, हर धर्मावलम्बी यह ठहर सकता है । मुनियों के प्रवचन सुन सकता है । वैभारगिरी आदि पर्वतों की यात्रा कर सकता है । यही सप्तपर्णी गुफा है, जहां रोहणी चोर रहता था । यही १६६२ में उपाध्याय श्री अमरमुनि जी ने अपना चातुर्मास ध्यान अवस्था में विताया । तभी उन्हें प्रेरणा मिली । जिसक परिणाम वीरायतन के रूप में आया ।
१६७५ को महावीर निर्वाण महोत्सव के अवसर पर यह कार्य शुरु हुआ, यह निर्माण का कार्य है जो अब भी चालू है । १०० एकड़ भूमि पर भव्य परिसर में बहुत इमारतें वन चुकी है । भविष्य में अन्य योजनाओं पर काम जारी
314