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आस्था की ओर बढ़ते कदम
समस्त परिवार ने धन सम्पदा छोड़ प्रभु महावीर के चरणों में दीक्षा ली ।
यही अभयकुमार मंत्री था जिसकी बुद्धि का सिक्का सारा संसार मानता था, फिर यहां चोरों का उत्पात हुआ । रोहिणी चोर ५०० चोरों का राजा था, भी यहां रहता था । जैन इतिहास की प्रसिद्ध घटनाएं अर्जुन माली व सेठ सुदर्शन यही के रहने वाले थे । यहां रहने वाले श्रेणिक ने किसी कारण वौद्ध धर्मावलम्वी वन गया था । परन्तु एक घटना ने उसका जीवन ही वदल कर रख दिया । उस घटना का वर्णन किये विना राजगृह का महत्व अधूरा ही रहता है । यह विवरण उत्तराध्ययन सूत्र में उपलब्ध है । यह प्रेरक प्रसंग है जिसने राजा श्रेणिक की जीवनधारा को बदलकर रख दिया ।
राजा श्रेणिक व अनाथिमुनि :
एक बार राजगृही नगरी का राजा श्रेणिक वन विहार के लिए निकला । वरसात का मौसम था । फल-फूलों में उपवन लहरा रहे थे । उस वन का नाम मण्डीकुक्षी चैत्य था | राजा सपरिवार वन विहार को निकला था । उसने वन में एक मुनि को ध्यानस्थ अवस्था में देखा । वह मुनि नवयुवक था । रूप व लावण्य उसका परिचय दे रहे थे । रूप लावण्य में वह धरती पर उतरा देवता लगता था । इतना सुन्दर नवयुवक मुनि क्यों वना ? यह प्रश्न श्रेणिक के मन में अंगड़ाईयां ले रहा था । आखिर राजा श्रेणिक ने पूछा, “हे नवयुवक ! तुम्हारे खाने-पीने के दिन हैं, तुम मुनि क्यों वन गए ? कृप्या मुझे कारण वताएं !" यह प्रश्न सांसारिक आत्माओं के मन में उभरता रहता है । अकसर संसार के लोग सोचते हैं कि मुनि जो वनता है किसी मजबूरी के
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