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= સાસ્વા છી વોર તો મ रखा । सेट जी ने गुरुपत्नी का हर प्रकार से ध्यान रखा, फिर गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म हुआ । इस महल में गुरुजी की वाल-लीलाएं हुई । गुरुजी का कुंआ वहुत प्रसिद्ध स्थान है । इसके बाद एक अन्य गुरुद्वारे के दर्शन किये, जो एतिहासिक था । हम एतिहासिक स्थल वैशाली जाना चाहते थे जिसके बारे में विद्वानों का मानना है कि यह प्रभु महावीर की जन्म स्थली है । जैन इतिहास में प्रभु महावीर के ननिहाल इसी वैशाली में थे । सारे गुरुद्वारे संगमरमर से बनाये गये हैं, बड़ा यात्री निवास व लंगर की व्यवस्था अति सुन्दर है।
हमने पटना शहर के कई इतिहासिक स्थानों का भ्रमण किया । इन सबमें से महत्वपूर्ण था पटना म्यूजियम । यह अजायवघर अंग्रेजों ने १५० वर्ष पूर्व स्थापित किया था । इसमें प्राचीन मुर्तियों के अवशेष हैं, जिनका संबंध जैन, बौद्ध व हिन्दू परम्परा से है । इस अजायबघर में दो महत्वपूर्ण वरतुएं अभी तक मुझे ध्यान में हैं । एक है मौर्य कालीन तीर्थकर प्रतिमा, जो भारत की सब प्राचीन प्रतिमा मानी जाती है। यह प्रतिमा हड़प्पा से मिली कायोत्सर्ग की प्रतिमा से मिलती जुलती है । इस म्यूजियम में कुषाण, मौर्य, गुप्तकाल के वहुत नमूने हैं । विदेशों के अजायवघरों से मिली वहुत सारी वस्तुएं इस भव्य म्यूजियम में प्रदर्शित की गई हैं । इस अजायवघर में सवसे नई वस्तुओं में से एक हैं करोड़ों वर्ष पुराना वृक्ष - जो अव पत्थर का रूप धारण कर चुका है । यह एक प्राकृतिक घटना है जो इस म्यूजियम की शान है । यह म्यूजियम पुरातत्व प्रेमियों के लिये तीर्थ से कम नहीं है । वैसे भी पटना में कई निजी पुस्तकालय, संग्रहालय आदि हैं, इन में खुदावख्श लाइब्रेरी, पटना विश्वविद्यालय, गांधी मैदान, विहार की राजधानी की शान है । यहां प्राचीन
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