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- आस्था की ओर बढ़ते कदम निर्देशन से पहले आप ने संस्कृत की परीक्षा में विश्वविद्यालय का रिकार्ड तोड़ा था। अव उनके निर्देशन में पी.एच.डी. का कार्य सम्पन्न किया। आप के धीसस को बहुत ही सराहा गया है।
आप अपनी गुरूणी के अनुरूप सरलता, सादगी का जीता जागता प्रमाण हैं। आप अपनी गुरूणी जी के हर कार्य में सहयोगी रही है। आप अच्छी लेखिका हैं। आप ने अल्प समय में शास्त्रों का स्वाध्याय गुरूणी से किया है। आप ने कई भव्य जीवों को संयम प्रदान किया है।
आप ने आचार्य श्री आत्मा राम जी के अप्रकाशित आगम निरयावलिका सूत्र (१-५) के सम्पादक मण्डल के सदस्य के रूप में कार्य किया। फिर गुरूणी साध्वी श्री स्वर्णकांता जी की दीक्षा के ५०वें साल में आप ने अभिनंदन गंध के मुख्य सम्पादिका के रूप में कार्य किया है। इस अभिनंदन ग्रंथ में आप ने अपनी गुरूणी परम्परा का अच्छा शोधात्मक परिचय दिया है।
भगवान महावीर के २६०० साला महोत्सव पर सचित्र भगवान महावीर के सम्पादिका के रूप में कार्य किया है। आप की प्रेरणा से साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज का ५०वा जन्म जयंती महोत्सव भव्य ढंग से मनाया गया। इस समारोह व अभिनन्दन ग्रंथ की तैयारी के विषय में अगले प्रकरण में उल्लेख करूंगा। इन साध्वी की कृपा से इतने बड़े लम्बे कार्य सम्पन्न हुए, जो जैन इतिहास का अंग बन गए। आप के कार्य जैन इतिहास व संस्कृति के सुनहरे पृष्ट पर अंकित हैं।
इन साध्वीयों में से सभी साध्वीयां ज्ञान-दर्शन चारित्र में तालिन रह कर संयन की आराधना करती हैं। मुझे साध्वी स्मृति को करीब से पहचानने का अवसर मिला।
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