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-आस्था की ओर बढ़ते कदम : इस प्रकार यह समारोह हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण समारोह था। वैसे देखा जाए तो - यह समारोह गुरूणी जी के चरणों में अंतिम समारोह था। उस के बाद के वर्ष में गुरूणी जी अस्वस्थ होने के कारण संथारा ग्रहण कर स्वर्ग सिधार गए।
यह समारोह हमारे सारे समारोहों से इस कारण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यापक स्तर पर मनाया गया। सब से बड़ी बात यह है कि यह समारोह गुरूणी को समर्पित था। उनका इस समारोह में ही अभिनंदन ग्रंथ समर्पित किया गया सभी पधारे श्री संघ के प्रधानों का सम्मान हुआ। विपूल मात्रा में दान इकट्ठा हुआ। उनकी अपनी पुस्तक (चित्रकथा) का विमोचन हुआ। उनके चरणों में चादरों का ढेर लग गया। प्रत्येक चादर उनके प्रति श्री संघ की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक थी।
यह समारोह मेरे जीवन में अलौकिक समारोह है। एक प्रकार से यह हमारे साहित्य के २५ वर्ष पूर्ण होने पर हो रहा था। इस समारोह ने मुझे आस्था के नए आयाम प्रदान किए। जैन धर्म व संस्कृति की सेवा के लिए मूझे नया वल, शक्ति, व स्फूर्ति मिली। सभी साध्वीयों की योग्यता का प्रमाण अभिनंदन ग्रंथ द्वारा प्राप्त हुआ। यह समारोह हम दोनों के जीवन में अलौकिक है।
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