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-आस्था की ओर बढ़ते कदम में समिल्लित हुए। यह सभी इतिहास का महत्वपूर्ण भाग हैं। हमारा प्रयत्न रहा है कि महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन जैन शास्त्रों के अनुसार कर दिया जाए। यह ग्रंथ हमारे धर्म जीवन की महत्वपूर्ण निधि है।
प्रभु महावीर ने अपने जीवन में सव से महत्वपूर्ण स्थान स्त्री जाति को दिया है। बोद्ध संघ में महात्मा बुद्ध ने स्त्रियों को वडे विवाद के बाद स्थान दिया। परन्तु तीर्थकर महावीर जिस परम्परा की कडी थे वहां साध्वी परम्परा प्रथम
तीर्थकर ऋषभदेव से चल रही थी। परन्तु भगवान महावीर ___ को शुद्र स्त्रीयों को धर्म वरावरी के लिए ब्राह्मणों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। ब्राह्मणों की मान्यता थी कि स्त्री, पशु व शुद्र एक श्रेणी के जीव हैं। इन से कठोरता से व्यवहार होना चाहिए। यह स्त्री व शुद्र किसी तरह की स्वतन्त्रता के योग्य नहीं। प्रभु महावीर इन मान्यताओं के खण्डन कर उन्हें मोक्ष का अधिकारी बनाया। प्रभु महावीर ने जीवात्मा को ही परमात्मा माना। सृष्टि, आत्मा, परमात्मा के वारे में उन्होंने स्वतन्त्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। यही दृष्टिकोण जैन धर्म को देसरे धर्मों से सिद्धांतिक रूप से अलग करता है। उन्होंने आत्मा की सर्वोच्च सत्ता को स्वीकार किया। हिन्दी भाषा में यह ग्रंथ हमारी परम उपलब्ध है। इस की समीक्षा दैनिक ट्रिब्यून, अजीत व पंजाब केसरी व गुण्स्थान में प्रकाशित हुई। समर्पित जीवन ८ :
यह एक गुरू द्वारा अपने शिष्य का परिचय देने की सामान्य चेष्टा है। प्रस्तुत पुस्तक में मैंने अपने धर्मभ्राता श्री रविन्द्र जैन का परिचय दिया है। यह एक गुरू की शिष्य
को अनुपम भेंट है। इस व्यक्ति के माध्यम से मुझे देव, गुरू __ व धर्म की सेवा करने का सुअवसर मिला है। यह पुस्तक मैंने
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