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-स्या की ओर बढ़ते OGA जो वाद में लघु पुस्तिका के रूप में प्रकाशित हुआ। गुण स्थान ५ :
आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का नाम गुण स्थान है। जैन धर्म में गुण स्थान की अपनी परिभाषा है। गुण्स्थान १४ होते हैं। यह दार्शनिक शब्द है। इस की व्याख्या करने से जैन दर्शन से गुजरना पड़ता है। आचार्य श्री विमल मुनि जी की पत्रिका का नाम भी गुण स्थान है। उन्हीं की पत्रिका में लगभग ५ किश्तों में यह लेख हिन्दी में प्रकाशित हुआ। यह लघु काया पुस्तिका के रूप में भी प्रकाशित हुआ। श्रावक शिरोमणि सेट नाथ राम जी जैन कुनरा ६ :
सेट नाथ राम जी जैन कुनरा मेरे दादा थे। उनके धर्मिक जीवन का मेरे पर बहुत प्रभाव है। जिन शासन प्रभाविका, जैन ज्योति उपप्रवर्तनी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की प्रेरणा से हमारे परिवार ने एक अहिंसा अवार्ड की घोषणा की थी। जिसका नाम इंटरनैशनल महावीर जैन शाकाहार अवार्ड है। उनके व्यक्तित्व का हिन्दी भाषा में परिचय मेरे धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन ने लिखा। यह पुस्तिका लघु काया है। मेरे लिए मेरे वावा जी का जीवन आदर्श रहा है। उनके दिए संस्कार, हमारे परिवार के लिए आदर्श हैं। उनका जीवन स्वावलम्वी जीवन की उत्कृष्ट उदाहरण है। घर परिवार में रहते हुए उन्होंने धर्म का आदर्श स्थापित किया। वह अहिंसा व शाकाहार के महान पक्षधर थे। जीवन भर उन्होंने सारे गांव को इसका संदेश दिया। . सचित्र भगवान महावीर जीवन चारित्र ७ : वर्ष २००१-२००२ भगवान महावीर के जन्म
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