________________
आस्था की ओर बढ़ते कदम
का विमोचन विश्व लेखक पंजावी सम्मेलन के अवसर पर दिल्ली में सम्पन्न हुआ । इस सम्मेलन में विश्व के कोने-कोने से पंजाबी लेखक आए थे। इस का विमोचन इसी सम्मेलन में किया गया । यह ग्रंथ इंगलैण्ड, पोलैण्ड, अमेरिका, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, मलेशिया तक पहुंचा ।
इस ग्रंथ के वारे में आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज ने एक घटना सुनाई। वह कहने लगे " जव मैं इंटरनैशनल महावीर जैन मिशन न्यूयार्क जैन मिशन के लिए चू०एन०ओ० में स्थान पाने के लिए प्रार्थना पत्र भेजा। मेरी भेंट एक सरदार जी से हुई। वह कहने लगे “मैं आप के धर्म को इंटरनैशनल नहीं मानता, संसार में महावीर को कौन जानता है ? जैन धर्म तो केवल भारत तक सीमित है ।" " मेरे पास उत्तर देने के लिए कुछ न था । कारण यह कि मैं पहला संत था जो विश्व के कोने-कोने में जैन धर्म के प्रचार को निकला था। मैंने कुछ सोचा, फिर मुझे आप के पंजावी महावीर चारित्र का ध्यान आया । सौभाग्य से वह पुस्तक मेरे पास थी । मैंने वह पुस्तक सरदार जी को भेंट करते हुए कहा, “देखिए ! जैन साहित्य संसार की हर भाषा में उपलब्ध है। हर कोने-कोने में जैन आगम पढ़ने वाले हैं यहां तक कि पंजाब की भाषा में भी यह पुस्तक आप के सामने है, और आप को क्या अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण चाहिए ?" यह पुस्तक पाकर सरदार जी प्रसन्न हुए । उन्होंने मेरे से और पंजावी साहित्य मांगा। जो हमारे सिद्धाचलम में था। उन्होंने आप की पुस्तक पाकर ही, मेरी संस्था को यू०एन०ओ० में स्थान दिया। आज संसार का १२वां धर्म जैन धर्म है। इस का प्रचार स्थानीय भाषा में करने के बहुत आधार हैं। यह पुस्तक जैन धर्म की परम्परा से शुरू होती है । इस में प्रभु महावीर के पूर्वभवों का वर्णन किया गया है।
193