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= आस्था की ओर बढ़ते कदम शिष्य आर्य जम्बू के सामने ऐसा चित्र खींचा है जैसा उसी प्रकार का उन्होंने प्रभु महावीर का स्वरूप देखा था। सुना। वैसा सुधर्मा स्वामी ने स्तुती के रूप में अपने शिष्य आर्य जम्बू स्वामी को कह डाला।
___“जैसे दानों में श्रेष्ठ अभयदान है, सत्यों में वही सत्य है जो किसी जीव की हानि का कारण न बने। तपों में उत्तम ब्रह्मचर्य तप है। लोक में उत्तम श्रमण ज्ञातापूत्र है।"
इस प्रकार के यह श्लोक बंध यह स्तुति प्रभु महावीर के प्रति श्रद्धा व आरथा का प्रतीक है। एक शिष्य अपने गुरू के प्रति क्या सोचता है ? इस का मनोविज्ञानिक व श्रद्धापूर्ण वर्णन इस स्तुती के हर शब्द में झलकता है।
इस वीरथुई पर अनेकों देशो-विदेशों के विद्धानों ने कार्य किया है। इस में जर्मन निवासी श्रीमती मेटे का नान प्रसिद्ध है। उनका प्रवचन पंजावी विश्वविद्यालय पटियाला के प्रांगन में हमें सुनने का अवसर मिला। हमें भी इस वात की प्रेरणा मिली। हमने इस स्तुती का पंजाबी अनुवाद प्रकाशित किया। इस पुस्तक का अनुवाद का विमोचन आचार्य आत्मा • राम भाषण माला के अवसर पर पंजावी विश्वविद्यालय
पटियाला में हुआ था। नवकार मंत्र व्याख्या - ६
जैन धर्म का मूल मंत्र नवकार है। यह मंत्र सय मंत्रों में श्रेष्ट है। चौदह पुणे व समस्त आगमों का सार यह मंत्र त्रिलोक पूज्य है। इस मंत्र के ५ पदों में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व संसार में भ्रमण करने वाले सब साधुओं को नमस्कार किया गया है। यह मंत्र प्राचीन है यह सव जैन सम्प्रदायों में मान्य है। जैन संस्कृति, दर्शन व धनं का आधार है। सभी मंत्र, तंत्र व यंत्र इस नवकार मंत्र से निकले हैं। हमने इस पुस्तका में अरिहंत सिद्धों भगवान के
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