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– ગ્રસ્થા શી વોર વઢતે દમ प्रमुख सिद्धांत हैं उनका प्रचार प्रसार करने वाले को दिया जाता है। पर आज का समाज इतना दूषित है कि ऐसे व्यक्ति गिने चुने मिलते है। वडे जी प्रयत्न के बाद हमने यह अवार्ड नामधारी नेता श्री एच.एस. हंसपाल को भैण्णी साहिव (लुधियाना) में प्रदान किया। उनके बारे में हमें ज्ञानी जैल सिंह जी राष्ट्रपति के सचिव श्री पंछी ने बताया था। वह उस समय राज्य सभा के सदस्य थे। हमने उन्हें अवार्ड की सूचना देहली में उनके आवास पर दी। उन्होंने अवार्ड स्वीकार करते हुए कहा वसन्त पंचमी को नामधारी सम्मेलन होता है। इस में हमारे सतगुरू जगजीत सिंह जी पधारते हैं आप वहां आ जाईए।
हम भैणी के लिए श्री पंछी के साथ तैयार हुए। सारा गांव नामधारीयों का था। सतगुरू महाराज जी ने अपनी माला से हमारा सन्मान किया। हमारा समारोह दोपहर को रखा गया। मेरे धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन ने सतगुरू श्री जगजीत सिंह जी की मौजूदगी में घोषणा पत्र पढ़ा। श्री हंसपाल जी के कार्यों की प्रशंसा की गई। मैंने श्री हंसपाल को शाल, अवार्ड राशि व ट्राफी भेंट की। सतगुरू महाराज जी को व श्री हंसपाल जी को सारा पंजावी जैन साहित्य भेंट किया गया। इस दिन संसार भर के नामधारी इकट्टे होते है। हमें उस दिन नामधारीयों से संबंधित इतिहासिक स्थल पर घूमाया गया। उनका गाय प्रेम देखने को मिला। उनकी देश भक्ति देखी। सभी नामधारी चमड़े का प्रयोग नहीं करते। सफेद खादी वस्त्र धारण करते हैं - शुद्ध शाकाहारी हैं।
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