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आस्था की ओर बढ़ते कदम
जानें जा चुकी हैं। यह भूचाल २६ जनवरी २००१ को आया था। लाखों लोग बेघर हो गए। सारे विश्व से सहायता आ रही है। दुख की बात है, कि यह सारे शहर जैन बहुसंख्यक थे। कई जैन मन्दिरों का नुकसान हुआ । ३५ के करीब साधु साध्वीयों को पता नहीं चल सका। जैन समाज ने गुजरात राहत कोष में विपूल धन देकर सहायता कार्य को आगे बढ़ाया। वीरायतन राजगृही और श्री नकोड़ा पार्श्वनाथ ट्रस्ट का कार्य उल्लेखनीय है जो अब भी चल रहें हैं। इस से ज्यादा भगवान महावीर के सिद्धांतों की अच्छी पालना और क्या हो सकती है।
देहली में एक राष्ट्रीय समारोह सम्पन्न हो चुका है । इस वर्ष को अहिंसा वर्ष के रूप में मनाया जाना है । सारा साल समारोह मनाए जाने हैं। नए प्रकाशन हो रहे हैं। पहले हमारी २५वीं सनिति पंजाब जो महावीर निर्वाण शताब्दी समिति के बैनर तले प्रकाशन व अन्य कार्य करती थी, अब यही समिति, जन्म कल्याणक समिति के बैनर तले कार्य कर रही है। इस के अभी पांच प्रकाशन हो चुके हैं। इनमें साध्वी श्री स्वर्ण कांता जी महाराज की ३ अनापूर्वी का प्रकाशन है। सचित्र कथा की पुस्तक नन्दनमणिकार हैं एक हमारा ग्रंथ सचित्र भगवान महावीर है। समिति मुझे संयोजक मान कर कार्य कर रही है। इसके कार्यकारिणी सचिव मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन है
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यह वर्ष कार्य का वर्ष है। इस में भारत सरकार टिकट जारी कर चुकी है। महावीर वनस्थली दिल्ली का विकास कर रही है। सरकारी समिति भगवान महावीर मैमोरीयल को संपूर्ण करने का निश्चय कर चुकी है। यह वर्ष अहिंसा वर्ष है। इस वर्ष जैन समाज में अपने अधिकारों प्रति चेतना जागी है । जैन धर्म को अल्पसंख्यक दर्जा देने की
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