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उपकार किया, तो गरीब तो बड़ा उपकार मानते हैं, वे घर के सारे सदस्य उसका बड़ा उपकार मानते हैं। अब राजा के पाप का उदय आया, सो उसका राज्य छिन गया, तो गरीब बनकर वह इसी धुन में घूम रहा था कि मैं कैसे अपना राज्य वापिस लूँ? तो उसने एक सेना जोड़ी, कुछ बल लगाया, कुछ लड़ाई ठानी, लेकिन वह विजय न पा सका । और जाड़े के दिन होने से उसको ठंड लग गई। ठंड से त्रस्त हुआ राजा जैसे मानो निमोनिया हो गया, बहुत परेशान हुआ, तो उस गरीब के घर के पास से गुजरा। उस समय पुरुष तो न था, पर उसकी स्त्री घर में थी। तो उस गरीब स्त्री के पास कोई विशेष साधन तो था नहीं ठंड से बचाने का, सो उस गरीब स्त्री ने कहा कि यहाँ ठंड से बचाने का और कोई उपाय तो है नहीं, पर हाँ, हमारे शरीर की गर्मी तुम में पहुँच जाय तो इस तरह भी तुम्हारी सर्दी का रोग दूर किया जा सकता है। तो उस समय बीच में तलवार लगाकर वह स्त्री और राजा दोनों एकसाथ सो गए। अब उस स्त्री का पुरुष आता और देखता है तो उसको देखकर उसे बड़ी शंका हो जाती है। उसे देखी हुई बात सच तो लग रही है, लेकिन थोड़ी ही देर में उसने देखा कि यहाँ तो विकार का रंच भी काम नहीं। यह बेचारा तो मर ही रहा है और आड़ में तलवार लगा ली। तो ऐसी कितनी ही बातें देखने को मिलेंगी जो दिखतीं कुछ हैं, और वहाँ बात कुछ है। अच्छा तो सुनी बात भी झूठ हो सकती, देखी बात भी झूठ हो सकती, पर अनुभव में आयी हुई बात को देखो।
कोई एक पुरुष के दो स्त्रियाँ थीं। छोटी स्त्री के तो बालक था और बड़ी के बालक न था, तो उसे ईर्ष्या हुई और अदालत में अपील कर दी कि यह बच्चा तो मेरा है। अदालत में युक्ति से भी उस बड़ी स्त्री ने बताया कि देखो पति का जो धन है, उसमें स्त्री का भी हक होता है न? और सभी लोग कहते हैं कि यह बालक इस पति का है, तो जो पति का
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