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एक क्षण में लूट लेंगे, तब रत्नत्रय रूप संपत्ति से रहित होकर चतुर्गतिरूप संसार में दीर्घकाल तक भ्रमण करना पड़ेगा। अतः सभी को अपनी शक्ति अनुसार तप अवश्य करना चाहिए। तप के द्वारा दूर रहने वाला तथा अत्यन्त परोक्ष दिखने वाला मोक्ष भी तुम्हारे निकट आ जाता है।
जो तप तपै खपे अभिलाषा, चूरे करम-शिखर गुरु भाषा।
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