________________
के लोगों ने खूब पानी डाला, खाद आदि डाली, पर सब व्यर्थ । गाँव के एक अनुभवी वृद्ध को सभी ने अपनी समस्या बताई। वह वृक्ष देखने आया। आसपास की मिट्टी खोदी, तो पाया जड़ में कीड़े लगे हुये थे। इसलिये पानी और खाद से लाभ नहीं हो रहा था। उन्होंने कीड़ों को अलग करने का उपाय करने को कहा। कीड़े अलग हो जायेंगे तो वृक्ष स्वतः हरा-भरा हो जायेगा।
बिल्कुल यही स्थिति समाजरूपी वृक्ष की है। इसमें फूट का कीड़ा लग गया है। समाज भी तभी तक फलता-फूलता है जब तक उसमें फूट न हो। यदि सबके मन में वात्सल्य भाव रहे, तो फूट का कीड़ा लग ही नहीं सकता। वात्सल्य और फूट एकसाथ नहीं रहते। जिसके प्रति वात्सल्यभाव होता है, उसके प्रति ईर्ष्याभाव नहीं होता।
दुर्योधन की महत्वाकांक्षा का परिणाम क्या हुआ? महाभारत हुआ। पूरे कौरववंश और पूरे समाज का विनाश। ऐसा अंत हुआ कि आज कोई अपना नाम दुयोधन/दुःशासन नहीं रखता। हमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति का समान रूप से सच्चे हृदय से सम्मान करना चाहिए। ___ राजा हरजसराय जी के सुपुत्र सेठ सुगनचंद अपार धन-सम्पदा के स्वामी थे। वे बड़े दानी थे। एक बार किसी खुशी के अवसर पर उन्होंने पूरे नगर में मिठाई बँटवाई। उनके सेवक घर-घर जाकर मिठाई बाँट रहे थे। उसी नगर में एक गरीब किन्तु स्वाभिमानी जैन व्यक्ति रहता था। उसने मिठाई स्वीकार नहीं की। सेठ जी के कारिंदों ने पूछा- "भाई! क्यों इंकार कर रहे हो?" उसने कहा- "भाई! मेरा सेठजी से कोई व्यवहार नहीं है। मैंने उन्हें कभी कुछ दिया नहीं, तो फिर उनकी भेंट कैसे ले सकता हूँ?
वे लोग लौट गये। सेठ जी ने पूछा “सबको मिठाई बाँट आये ? कोई छूट तो नहीं गया।" सेवकों ने बताया " केवल एक व्यक्ति ने भेंट
10 580_n