________________
उन्हें अपनाते भी रहें और मुक्ति का स्वाद भी ले लें, ऐसा नहीं हो सकता। एक ओर का मार्ग निश्चित करें कि कौन - सा मार्ग प्रिय है? अगर मुक्ति का मार्ग प्रिय है तो राग, द्वेष, मोह छोड़ना होगा। इन सारे बंधनों को छोड़कर रत्नत्रय को धारण कर एक निज आत्मस्वरूप को अपनाना होगा, तभी आत्मा का कल्याण होगा।
1742