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लघुविद्यानुवाद
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(४) वध्या स्त्री की कमर मे बाधने से सन्तान की प्राप्ति होती है। (५) मूल को ठण्डे पानी मे घिसकर लगाने से विच्छ आदि का जहर व हर प्रकार का जहर
उतरता है। (६) मूल मे गोरोचन मिलाकर गुटिका कर तिलक करे तो सर्वजन वश हो । (७) यह मूल वच, हल्दी तीनो बराबर मिलाकर तिलक करे, तो अधिकारी वश मे हो। (८) मूल, गोरोचन, मैनासिल भृ गराज चारो मिलाकर तिलक करे, तो अधिकारी वश
मे हो। (६) मूल, हल्दी, कुट (लाज कुरी) स्वरक्त से भोज-पत्र पर लिखकर हाथ मे बाधे, सर्वजन
वश हो। (१०) मूल, वीर्य, भृगराज मिलाकर अजन करे, तो अदृश्य हो। (११) मूल का मेघा नक्षत्र मे कस्तूरी मे अजन करे, तो अदृश्य हो। (१२) मूल का वच के साथ घिसकर हाथ के लेप करे, तो हाथ नही जले । (१३) मूल को छाया मे सुखाकर, चूर्ण कर घृत के साथ आधा रत्तो की मात्रा में खाने से भूत,
प्रेत दूर होते है। स्मरण शक्ति बढती है । देह को काति कामदेव के समान हो जाती
है । ४० दिन थोडी मात्रा मे सेवन करे। उष्णता का अनुभव हो, तो छोड़ दे। पचांग .-फल, फूल, जड, पत्ते व छाल को पचाग कहते है । पचामैल.-कान, दात, पाख, जिह्वा और स्ववीर्य को पाच प्रकार का मैल कहते है। मूल -किसी भी पेड की जड को मूल कहते है । बदा .-एक वृक्ष पर दूसरा वक्ष निकल आता है। उसे बदा कहते है। उस वृक्ष की गाठ लेना
चाहिए।
अपनी मा का नाम कागज पर लिखकर, मस्तक के नीचे दबाकर सोने से स्वप्न दोष कभी नहीं होता है और यह रोग मिट जाता है ।
काले धतूरे की जड ६ मासा प्रमाण चूर्ण कर कमर मे बाधने से, स्वप्न दोष कभी नही __ होता है और बवासीर रोग ठीक होता है ।
ह्रीं कार कल्प
सवर्ण पार्श्व लय मध्य सिद्ध मधिश्वरं भास्वर रूप भासम । खन्डेन्द्र बिन्दु स्फुट नाद शोभ, त्वां शक्ति बीजं प्रमना प्रणौमि ॥१॥