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लघुविद्यानुवाद
धारण विधि
- ७ या १२ कैरेट का पीला पुखराज सोने की अगूठी मे जडवाकर गुरुवार को साय सूर्यास्त से एक घण्टे पूर्व ग्रीवा, भुजा या तीसरी प्रगुली में धारण करना चाहिये । ६, ११, १५ रत्ती का पुखराज कभी धारण नही करना चाहिये । इसे धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है.
ॐ बृहस्ते प्रति यदि श्रद्य मद्विभाति क्रतुमज्जनेषु । यद्दीयच्छवश ऋतप्रजात तदस्मामु दु विणं धेहि चित्रम् |
हीरा कौन धारण करे - हीरा शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है । शुक्र की दशा मे हीरा धारण
करना चाहिये ।
धारण विधि - शुक्रवार की प्रात ग्रीवा, भुजा या प्रगुली में धारण करना चाहिये । इसे धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है :
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ॐ अन्नात् परिस्तों रसं ब्रह्मणा व्यपिवत्
क्षत्रं पयः सोमं प्रजापितः ऋतेन सत्यमिन्द्रियं
विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोमृतं मधु ।
नीलम कौन धारण करे नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। शनि की दशा मे नीलम धारण करना चाहिये ।
धारण विधि :- ५ या ७ रत्ती का नीलम धारण करना चाहिये । शनिवार को सूर्यास्त से दो घण्टे से पहले से ४० मिनट बाद तक इसे एक नीले कपडे मे बाधकर भुजा पर धारण कर, तीन दिन परीक्षा करनी चाहिये । यदि ग्रनुकूल सिद्ध हो, तो धारण किये रहना चाहिये । हृदय पर धारण करने से यह उसे शक्ति प्रदान करता है ।
इसे धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है
ॐ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु, पीतये गंयो रस्त्रिवन्तु नः ।
गोमेद कौन धारण करे :- गोमेद, राहु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है । राहु की दशा में चार करने से लाभ होता है ।
धारण विधि :- गोमेद ६, ११ या १३ कैरेट का होना चाहिये । ७१० या १६ रन का कभी नही होना चाहिये | इसे धारण करने का समय नदी
तक है।
गोमेद धारण करने का निम्नांकित मन्त्र है
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ॐ कवानचित्र ग्राभुव दूती सदा वृधः सखा या चिया वृता ।