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________________ ६७२ लघुविद्यानुवाद धारण विधि :-२, ४, ६, ११ रत्तो का मोतो होना चाहिये । ७ या ८ रत्ती का मोतो नही पहनना चाहिये । मोती को चादी मे जडवाकर शुक्ल पक्ष, सोमवार को सध्या के समय ग्रीवा, भुजा या अगुली मे धारण करना चाहिये। इसे धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है -- ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्येष्ठाय महते जान राज्यायेन्द्र स्येन्द्रियाय, इम मनुष्य पुत्र ममुष्य पुत्रमष्यै विष एष वोडमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा । मू गा कौन धारण करे.-मू गा मगल ग्रह का रत्न है। अत मगल ग्रह की दशा मे इसे धारण करना चाहिये। धारण विधि .-जन्म कुण्डली मे मगल ग्रह ४, ८ या १२ वे स्थान पर हो तो ८ रत्ती का मू गा, सोने की अगूठी मे पहनना चाहिये । चन्द्र मगल के योग मे चादी मे, मू गा जडवाकर पहनना चाहिये । ५ या १४ रत्ती का मूगा कभी नही होना चाहिये । मगलवार के दिन सूर्योदय से एक घण्टा पश्चात् ग्रीवा, भुजा या तीसरी अगुली मे इसे धारण करना चाहिये। इसे धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है - ॐ अग्निर्द्धा दिवः ककुत्पत्तिः पृथिव्या अयम् । अपा रेतासि जिन्वति । पन्ना कौन धारण करे :-पन्ना बुध ग्रह का रत्न है । अत बुध की दशा मे ५ के रेट का पन्ना धारण करना चाहिये। धारण विधि --पन्ने को स्वर्ण मे जडवाकर अपने जन्म मास की ५, १४ या २३ तारीख को या वुधवार के दिन सूर्योदय के दो घण्टे पश्चात् ग्रीवा, भुजा या मध्यमा अंगुली मे धारण करना चाहिये। इसे धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है : ॐ उदबुध्यस्वातने प्रति जाग्रहित्व मिष्टापूत संसृजेथामयं च अस्मिन्त्सधस्थे अध्युकेरस्मिन् विश्वेदेवा यजमान सीदत्त । पखराज पौन धारण करे -पुखराज गुरु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है । गुरु की दशा मे पुखराज धारण करना चाहिये।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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