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________________ ६६४ लघुविद्यानुवाद रुद्राक्ष को केश प्रदेश मे धारण करना चाहिये । इसके धारण करने से आरोग्य लाभ, सात्विक प्रवृति का उदय, शक्ति का श्राविर्भाव और विघ्ननाश होता है । रुद्राक्ष के मुखों के अनुसार उसका फल निम्न प्रकार से है ( 1 ) एक मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात भोगोपभोग रूप फल प्रदान करना है । जहा इसकी पूजा होती है, जहा से लक्ष्मी दूर नही जाती । उस स्थान मे सारे उपद्रव नष्ट हो जाते है तथा वहा रहने वाले लोगो की सम्पूर्ण कामनाये पूर्ण होती है । (२) दो मुख वाला रुद्राक्ष देव देवेश्वर कहा गया है । वह सम्पूर्ण कामनाओ और फलो को देने वाला है । गर्भवती महिलाओ की कमर या वाह पर सूत से बाघ देने पर गर्भावस्था नौ महीने के अन्दर किसी भी प्रकार की बाधा, भय बेहोशी, हीस्टीरिया, डरावने स्वप्न आदि दोष नही होगे साथ मे एक रुद्राक्ष बिस्तर पर तकिये के नीचे एक डिबिया मे रख देना चाहिये । (३) तीन मुख वाला रुद्राक्ष सदा साक्षात् साधन फल देने वाला है, उसके प्रभाव से सारी विद्याये प्रतिष्ठित होती है, तीन दिन के बाद आने वाला ज्वर इसके धारण करने से ठीक हो जाता है । (४) चार मुख वाले रुद्राक्ष के दर्शन और स्पर्श से शीघ्र ही कार्य सिद्धि होती है एव सर्व पुरुषार्थी को सिद्धि देने वाला है । (५) पाच मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात् कालाग्नि रूप है, वह सब कुछ करने में समर्थ है, सब कष्ट से मुक्ति देने वाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है, उसके तीन दाने धारण करने से लाभ होता है । (६) छ मुखो वाला रुद्राक्ष यदि दाहिनी बाह उसे धारण किया जाये तो धारण करने वाला मनुष्य विद्याओ का स्वामी होता है और विघ्नो से मुक्त हो जाता है, यह विद्यार्थियो के लिये उत्तम है । (७) सात मुख वाला रुद्राक्ष अनग स्वरूप और अनग नाम से ही प्रसिद्ध है, उसको धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है । सभी रोगो का नाश होता है । (८) आठ मुख वाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरव रूप है । उसको धारण करने से मनुष्य पूर्णायु होता है और मृत्यु के पश्चात् शूलधारी यक्ष हो जाता है ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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