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________________ ६३० लघुविद्यानुवाद महोत्सव समये, पुण्याह वाचन करिष्ये । सर्वः सभाजनैरनु ज्ञायता विद्वद्विशिष्ट जनेरनु ज्ञायता, महाजनैरनु ज्ञायता तद्यथा । प्रस्थमात्र तदुलोपरि ही कार सवेष्टित स्वस्तिक यन्त्रे मन्त्र परिपूजित मणिमय मगल कलश सस्थाप्य, यजमानाचार्यो ऽपसव्य हस्तेन् घृत्वा पुण्याहमन्त्रमुच्चारन् सिचेत् । ॐ स्वस्तिक कलश स्थापन करोमि । LE पास मे छपे हुये यन्त्रानुसार करीब एक सेर चावल लेकर जमोन मे यत्र बनावे, फिर उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रखकर उसमे नगर बेल का पत्ता रखे और पुण्यहवाचन पढते जावे और कलश का पानी उस पत्ते से दाहिने हाथ मे छिडकते जावे। ॐ हां ह्रीं ह्रौ हः नमोऽहते भगवते श्रीमते समस्त गंगा सिध्वादि नदी नद तीर्थ जलं भवतु स्वाहा । जलपवित्री करणं । ॐ ह्रीं पुण्याह कलशार्चनं करोमि स्वाहा । साथिया के ऊपर के कलश मे अर्घ चढावे । ॐ पुण्याह २ प्रियता २ भगवतोऽहत. सर्वज्ञाः सर्वदशिन त्रिलोकनाथा त्रिलोक प्रद्योतनकरा वृषभ अजित-सभव अभिनदन सुमति पद्मप्रभ सुपार्श्व चन्द्रप्रभ पुष्पदत, शीतल श्रेयो वासुपूज्य विमल अनत धर्म शाति कुन्थु अर मल्लि मुनिसुव्रत नमि नेमि पार्श्व श्री वर्द्ध माना शाताः शातिकरा सकलकर्मरिपु विजय कातार दुर्गविषयेषु रक्षतु नो जिनेद्रा सर्वविदश्च ।। श्री ह्री पति कीति बुद्धि ल मी मेधाविन्यः सेवा कृषि वाणिज्य वाद्य लेख्य मन्त्र साधन चूरिणप्रयोग स्थान गमन सिद्धि साधन या प्रतिहत शक्तयो भवतु नो विद्यादेवता । नित्यमर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु वश्च भगवतो न प्रियता २ आदित्य सोमागार बुद्ध वृहस्पति शुक्र शनैश्नर राहु केतु ग्रहाश्च न प्रियता २ । तिथि करण मुहूर्त लग्न देवता इहचान्य ग्राम नगरादिषु अपि वास्तु देवताश्चताः सर्वेगुरु भक्ता अक्षिण कोष कोष्टागारा भवेयुनि तपोवीर्यं नित्यमेवास्तु न प्रियता २ मातृपितृ भातृ सुत सुहृत्स्व जन सबधी बधुवर्ग सहिताना धनधान्यैश्वर्य द्युति बलयशो वृद्धिरस्तु । प्रमोदोस्तु शाति भवतु पुष्टि भवतु सिद्धि र्भवतु काम मागल्योत्सवा सन्तु शाम्यतु घोराणि शाम्यतु पापानि पुण्य वर्द्ध ताम् धर्मोवर्द्ध ताम् अायुषीवद्धताम् कुलगोत्र चाभिवर्द्ध ताम् स्वस्ति भद्र चास्तु न हता स्तेपरिपथिन शत्रवः शमयतु । निष्प्रति घमस्तु । शिव मतुलमस्तु । सिद्धा सिद्धि
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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