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लघुविद्यानुवाद
क्षत्रपाल--४ सिद्धसेन, महासेन लोकसेन, विनय केतु ।
(१७) श्री कुन्थनाथजी (बकरे का चिन्ह) "गधर्व यक्ष"-कृष्ण वर्ण वाला, पक्षी की सवारी करने वाला तथा चार भुजा वाला है। ऊपर के दोनो हाथो मे नागपाश, नीचे ‘दोनों हाथो मे क्रमश धनुष और बाण हैं। (चित्र न० ३३)
"जया गान्धारी यक्षिणी"- स्वर्ण वर्ण वाली, काले सूअर की सवारी करने वाली चार भुजा वाली है। हाथो मे चक्र, शख, तलवार और वरदान को धारण करने वाली है । (चित्र न० ३४) क्षेत्रपाल-४ यक्षनाथ, भूमिनाथ, देशनाथ, अवनिनाथ ।
(१८) श्री अरहनाथजी (मत्स्य का चिन्ह) ", . "रवगेन्द्र यक्ष"-शख की सवारी करने वाला, त्रिनेत्र तथा छह मुख वाला है। बाएं हाथो मे क्रमश: धनुष, कमल, माला, बिजोरा फल, बड़ी यक्ष माला और अभय को धारण करने वाला है। (चित्र न० ३५)
तारावती यक्षिणी"-स्वर्ण वर्ण वाली, हस वाहिनी, चार भुजा वाली है। हाथो मे सर्प हरिण, वज्र और वरदान को धारण करने वाली है । (चित्र न० ३६) क्षेत्रपाल-४ गिरिनाथ, गद्धरनाथ, वरूणनाथ, मैत्रनाथ ।
(१६) श्री मल्लिनाथजी (कलश का चिन्ह) . 'कुबेर यक्ष"-- इन्द्र धनुष जैसे वर्ण वाला गज वाहिनी चार मुख आठ हाथ वाला है ।
'अपराजिता देवी यक्षिणी"-हरित वर्ण वाली, अष्टापद की सवारी करने वाली चार भुजा वाली, हाथ मे ढाल, फल, तलवार और वरदान को धारण करने वाली है। (चित्र न० ३८) क्षेत्रपाल-४ क्षितिप, भवप, क्षांतिप, क्षेत्रप (यक्षप)। .
(२०) श्री मुनिसुव्रतनाथजी (कच्छप का चिन्ह)
"वरूण यक्ष"--श्वेत वर्ण तथा वैल की सवारी करने वाला, जटा के मुकुट वाला, पाठ मुख वाला, प्रत्येक मुख तीन-तीन नेत्र वाला और चार भुजा वाला है। वाऐ हाथ मे ढाल और फल तथा दाहिने हाथ मे तलवार और वरदान है। (चित्र न० ३६)