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लघुविद्यानुवाद
यत्र न० ७८
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لله
७८
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इस यत्र को पुष्य नक्षत्र मे लिखकर स्वय के पास रखने से भोग इच्छा खत्म हो जाती है ।।७८॥
यत्र नं०७६
८२
८४
इस यन्त्र को कुम्हार के आवे की ठीकरी पर-लिखकर, किसी के घर मे डाल देने से, उस ____घर मे नाटक होना प्रारम्भ हो जाता है ॥७॥