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________________ लघु विद्यानुवाद ५७७ इस शाकिन्यादि को दूर करने के यन्त्र को अष्टगंध से भोजपत्र पर लिखकर उस यन्त्र को एक चोकी पर स्थापन कर, विधि पूर्वक यन्त्र मे लिखे हुये मन्त्र का साढे वारह हजार जप करे, यन्त्र की पूजन नित्य करे, जब जप पूरे हो जाय तब दशास आहुती देवे, यन्त्र को गले मे या हाथ मे बाधने से भूत, प्रेत, राक्षस, शाकिनी, डाकिनी की बाधा दूर होती है । ५७ । अथ घन्टा कर्ण मन्त्र संक्षेप वीधि ॐ घटाकर्णो महावीर सर्व व्याधि विनाशक, विस्फोटक भय प्राप्ते, रक्ष २ महावल यत्र त्व तिष्ठ से देव लिखितो क्षर पक्ति भि. रोगास्तत्र प्रणश्यति वातपित्त कफोद्भवा । तत्र राज भय नास्ति, याति कर्णे जपात्क्षय, शाकिनी, भूत, वैताला राक्षसा प्रभवति न || ३ || ना काले मरण तस्य न च सर्पेण डस्यते । श्रग्नि चोर भय नास्ति ॐ घटा करर्णो नमोस्तुते । विधि :- शुभ दिन देखकर रवि पुष्य या रवि मूल या और कोई शुभ दिन मे कोरे धुले हुये कपडे पहन कर महावीर प्रभु की प्रतिमा के श्रागे दोपक जलाकर नैवेद्य चढाकर आठ जाति के धान्य को अलग ढेर लगाकर एक मुक्त प्रहार करे, ब्रह्मचर्य व्रत पाले और मन्त्र का साढे बारह हजार जप करना, दिन १४ मे अथवा १२ मे पूरा करना, तब मन्त्र सिद्ध होगा, सर्वकार्य सिद्ध होय, इस मंत्र को तीनो काल मे पढने से मृगी रोग घर मे कभी भी नही आवे, सोते समय तीन बार पढकर तीन बार ताली बजाकर सोवे तो, सर्प भय, चोर भय, अग्नि भय, जल भय इत्यादि नही होता है । अछूता पानी को इस मन्त्र से २१ बार मन्त्रीत कर छाटा देने पर अग्नि नही लगेगी तथा एक वरिंग गाय के दूध को २१ बार मन्त्रीत कर छाटा देवे तो अग्नि बुझ जायेगी । मन्त्र को कागज पर लिखकर घटा मे बाधे तो और घटा बजावे तो जहा जहा ग्रावाज जाये वहा २ के उपद्रव सब मिटते है । कन्या कत्रत सूत्र मे ७ गाठ लगाते हुये मन्त्र से २१ बार मन्त्रीत कर बच्चे के गले मे वाधने से नजर नही लगती है । कन्या कत्रीत सूत्र को २१ बार मन्त्रीत कर धूप देकर हाथ मे बाधे तो एकातरा ज्वर जाता है । --- इसी मन्त्र की दूसरे प्रकार से विधि कहते है दीवाली की रात्रि तथा शुभ मुहूर्त मे प्रारंभ कर भगवान महावीर के सामने ब्रह्मचर्य पालन करते हुये पूर्वोक्त विधि से १२ दिन मे साढ़े बारह हजार जप पूरा करे । फिर गुग्गुल अढाई पाव, लाल चन्दन, घृत, बिनौला (कपास के वोज), तिल, राई, सरसो दूब, दही, गुड, रक्त कनेर के फूल, सब चीजो को मिलाकर, साढ वारह हजार गोली बनाना फिर एक २ मन्त्र के साथ एक २ गोली ग्राग मे खेवना, इस प्रकार साढ़े बारह हजार जप पूरा कर, फिर दास होम करना, तव मन्त्र सिद्ध होगा, नित्य ही भगवान की पूजा करना, माला लाल चन्दन की होनी चाहिए ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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