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________________ ५७६, लघुविद्यानुवाद शाकिन्यादि निवारण कलि कुण्ड यन्त्र यत्र न०५७ र व कल्य रए aree स्चा /हीश्रीपारवायामधरणेन्द्रभग्नाव (तीसहिताय कामाक्षीमूक्ष्मैनौ । इस कलिकुडदडस्वामिन्नतुलबलवीर पराक्रसममशाकिन्यादिभयोपशाम आत्मविद्यारक्षर पर विद्यांछिदभिद टू फट् स्वाहा। । दल । ल्यू कल्य JHIY क्षि इस यन्त्र को ताबे के पत्रे पर खुदवाकर प्रतिष्ठा करवा ले, फिर किसी भी प्रकार के ज्वर से आक्रान्त रोगी के सिरहाने गरम पानी मे डालकर यन्त्र रक्खे तो ताप ज्वर जाता है और ठडे पानी मे डालकर सिरहाने रक्खे तो ताप ज्वर जाता है ॥५५।। इस लघु सिद्ध यन्त्र को ताबे के पत्रे पर खुदवाकर यन्त्र पर लिखा हुना मन्त्र का सवा लक्ष जपकर एक यन्त्र भोजपत्र पर लिखकर पास मे रक्खे, दशास होम करे, तो सर्व कार्य सिद्ध होता है, सर्व रोग दूर होते है, सर्व प्रकार की पर विद्या का छेदन होता है। लक्ष्मी लाभ होता है । चितित सर्व कार्य सिद्ध होते है। यह यन्त्र मन्त्र चिंतामरिण है । इसके प्रभाव से मोक्ष लाभ होता है ।।५६।।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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