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लघुविद्यानुवाद
आठ और दस का अङ्क लिख, यन्त्र लेखन को पूरा करने के बाद बाजू मे मन्त्र
लिखना चाहिये। मन्त्र -ॐ ह्री चित पिगल दह २ ज्ञापन, हन २, पच २ सर्व सापय स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को प्रथम ऊपर कोठे मे से प्रारम्भ कर बताये मुताबिक लिखे, जैसे
ॐ ह्री लिखा, बाद मे दूसरे कोठे मे चितपिगल, तीसरे के नीचे कोठे मे दह, चौथे के बायी तरफ के कोठे मे ज्ञापन लिखे, और नीचे दाहिनी ओर के कोठे मे हन २ लिखे, नीचे बायी ओर के कोठे मे, के कोने मे पच २ लिखे, सर्व भी लिखे, ऊपर के बायी ओर के कोठे मे सापय लिखना, और ऊपर के दाहिनी ओर के कोने मे स्वाहा लिखे। इस यन्त्र को ताम्रपत्र पर खुदवाना चाहिये। यन्त्र को सिद्ध करते समय किसी एकान्त जगह मे निर्जन्तुक स्थाना को देखे, जो पीपल पेड के नीचे हो, वहा अग्रण्ड दीपक जलाकर यन्त्र सिद्ध करे। तुम्हारे यन्त्र सिद्ध करने मे किसी प्रकार की बाधा नही आवे, इसलिये दो नौकर साथ मे ले जाना चाहिये । इस यन्त्र को पीपल के पत्ते पर १०८ बार लिखना चाहिये, लिखकर उन पत्तो मे पीपल की लकडी से घी लगावे, फिर रख देवे, मन्त्र का जाप प्रारम्भ करना, मन्त्र साढे बारह हजार करना, फिर जप किया हुआ मन्त्र का दशास होम करना, होम करते समय, पीपल की लकडी के साथ, जो पीपल के पत्ते पर यन्त्र लिखे थे, उन पत्तो को भी एक २ मन्त्र के साथ आहुती देते जाना पीपल की लकडी के साथ, कपूर, दशास, धूप भी लेना आवश्यक है। इस तरह से ४० दिन तक १०८-१०८ बार क्रिया करना, खाना मे केवल चालीस दिन तक दूध या दूध की वस्तु ही बनी हुई, गरम पानी ठण्डा कर पीये, भूमि शयन, ब्रह्मचर्य पाले, उनके वस्त्र पर शयन करे, पिछली रात्रि मे जप करे, वैसे मन्त्र जप त्रिकाल कर सकते है। सध्या के समय बराबर साधना और देव को, फल नैवेद्य से नित्य ही पूजा करे, पुष्प गुलाब के या मालती के चढाना, इस तरह करते समय रात्रि मे जब स्वप्न आवे उसका ध्यान रखना। जव सिद्धि प्राप्त हो तव यन्त्र सामने रख कर, मन्त्र की एक माला फेर कर सो जाने से स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम होगा। व्यापार के अर्थ अक भी स्वप्न मे मालूम होगा। कुछ यन्त्र भोजपत्र पर या कागज पर सिद्ध करते समय सामने रखना चाहिये । भोजपत्र पर लिम्बे हुये मे से १ यन्त्र अपने पास रखकर व्यापार करने से बहुत लाभ होगा। बाकी यन्त्र