________________
शान्ति कर्म
पश्चिम वरुण दिशा
३ श्रर्द्ध रात्रि
ज्ञान मुद्रा
पर्यङ्काशन
१
२
४
५
६
७
श्वेत वस्त्र
श्वेत पुष्प
ह श्वेत वर्ण
८
१०
पूरक योग
दोपन यादि
नाम
१२ स्फटिक मणि
११
स्वाहा पल्लव
१२ | मध्यमागुली
१४ दक्षिण हस्त
वाम वायु
१५
१६
१७
शरद ऋतु
जल मण्डल
मध्य
१८ अर्द्ध रात्रि
पौष्टिक कर्म
नैऋत्य दिशा
प्रभात काल
ज्ञान मुद्रा
पकजासन
स्वधापल्लव
श्वेत वस्त्र
श्वेत पुष्प
श्वेत वर्ण
पूरक योग
दीपन आदि
नाम
मुक्ता मणि
मध्यमागुली
दक्षिण हस्त
वाम वायु
हेमन्त ऋतु
जल मण्डल
वश्य कर्म
कुवेर दिशा
पूर्वान्ह
सरोज मुद्रा
स्वस्तिकासन
वषट् पल्लव
अरूण पुष्प
रक्त वर्ण
रक्त वस्त्र
मन्त्र जाप करने की विधि का कोष्टक
चाकणकर्म
स्तम्भन कर्म
दक्षिण यम दिशा पूर्वाभिमुख
पूर्वान्ह का
पूर्वान्ह काल
शख मुद्रा
पूरक योग
सम्पुट आदि
मध्यनाम
प्रवाल मरिण
अनामिका
वाम हस्त
वाम वायु
वसन्त ऋतु
जल मण्डल
कुश मुद्रा
दण्डासन
वौपट् पल्लव
उदयार्क वस्त्र
अरूण पुष्प
उदयार्क वर्ण
पूरक योग
यथन वरुणा तरित नाम
प्रवाल मरिण
कनिष्टका
वज्रासन
जहाँ स्वाहा लिखा हो वहाँ धूप के साथ जपे यानि धूप आगे रखे ।
ठ ठ पल्लव
पीत वस्त्र
पीत पुष्प
पीत वर्ण
कुम्भक योग विदर्भाक्षर मध्य
नाम
स्वर्ण मणि
कनिष्टका
दक्षिण हस्त
वाम हस्त
दक्षिण वायु
वाम वायु
वसन्त ऋतु
वसन्त ऋतु
अग्नि मण्डल
पृथ्वी मण्डल
प्रभात काल
पूर्वान्ह काल
पूर्वान्ह
पूर्वान्ह काल नोट - प्रत्येक दिन मे २ || घडी २॥ घडी क्रमशः छहो ऋतु समझना ।
मारण कर्म
ईशानदिक्
सध्याकाल
वज्र मुद्रा
भद्रासन
घे घे पल्लव
कृष्ण वस्त्र
कृष्ण पुष्प
कृष्ण वर्ण
रेचक योग
रोवन आदि मध्य
नाम
पुत्रजीवा मणि
तर्जन्यगुली
दक्षिण हस्त
दक्षिण वायु
शिशिर ऋतु
वायु मण्डल
सध्या काल
॥१३॥