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लघुविद्यानुवाद
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मोहन कर्मणः सवौं ज्ञातव्य. फल श्री कोति बुद्धि विस्तृति, क्षोभण, द्रावण, वशीकरणानि च ज्ञातव्यम् ।
अथ बीजोत्पत्ति
श्र शश्चडीशः र क्षतज ॐ विदारी 'म' महाकाल चतु सयोग फल वशीकरण झौ झः __वाल मुख र क्षतज. ॐ डाकनो मः ‘महाकाल' चतु सयोग फल डाकिनी तिरस्कार: द. वलि. रक्षतजः ___ॐ विदाराम. 'काल' इति चतु. सज्ञः काम बीजात् द्रावण फल पः ‘कपर्दी' र: क्षतज ॐ विदारी मः महाकाल इति चतु. सयोगात् ग श्वड. ॐ विदारी म महाकाल त्रि सयोगात् वर सिद्धि फल, क्षः त्रैलोक्य (ग्रसित) ग्रसन म: महाकाल. ई धूम्र भैरवी 'म' महाकाल क्ष्मी शत्रु सहारः फल श्री लक्ष्मी बीज साधन पूर्व मुक्त हः श्रन्य र. अग्नि बीज ह व्योम वक्त्र फल हर है त्रयाणा, लोक शून्य ‘फल क्ली क्ली ही पूर्व मुक्त फल साधना । इति :
यन्त्र नं. ३
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