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लघुविद्यानुवाद
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लिये, अच्छा दिन, अच्छा योग चन्द्रबल वगैरे का निर्णय करके जाप्य करे, अष्टद्रव्य से यन्त्र पूजा करे, तो मत्र सिद्ध होता है ।
इस मत्र के प्रभाव से कोड रोग का नाश होता है। कुएं का खारा पानी अमृत के समान हो जाता है, सर्प फूल को माला बन जाता है, भाला का अग्रभाग फूल जैसा हो जाता है, अग्नि का पानी हो जाता है, विष अमृत के समान बन जाता है। गर्मी के दिन शरद ऋतु के समान बन जाता है, सूर्य चन्द्रमा के समान हो जाता है, नित्य ज्वरादि ठीक हो जाते है । विषैले जन्तु तो आज्ञा मात्र से ही दूर हो जाते है ।
यन्त्र नं० २६ विधि नं. २ का यन्त्र
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पद्मासना पद्मदलायताक्षी, पद्मानना पद्मकरांध्रि पद्मा । पद्मप्रभा पार्श्व जिनेन्द्र सक्ता, पद्मावती पातु फरणीन्द्र पत्नी ॥२७॥
(२७) कमल के ऊपर विराजमान, कमल लोचन है आपके, कमल के समान मुख वाली हो, आपके हाथ पाव भी कमल के समान है, कमल के समान शोभा वाली हो, श्री पार्श्वनाथ प्रभ की शासन देवी हो, श्री धरणेद्र की पत्नी देवी पद्मावती मेरी रक्षा करो ॥२७॥