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लघुविद्यानुवाद
यंत्र नं० २४
ऊँऑक्राँ हाँक्ली ब्लू सःअमुकीवस्यमानयर संवौष्ट् |
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दिव्ये पद्म सुलग्ने स्तनतटमुपरि स्फारहारावलीके केयूरैः कंकणाद्य बहुविधरचित हुदण्ड प्रचण्डैः । भाभाले वृद्धतेजः स्फुरन्मरिणशतैः कुण्डलोदघष्टगण्डे त्रां ह्रीं स्रस्रः स्मरन्ती गजपतिगमने रक्ष मां देवि ! पद्म ॥२५॥
(२५) जो उत्तम कमल मे विराजमान है, जिनके स्तन मडल पर अनेक लडियो वाले हार शोभित हो रहे है। वाजुबध, ककण वगैरह आभषणो से जिनके भुज दड शोभित हो रहे हैं। जिनका मस्तक भाल अनेक मणियो के प्रकाश से भी ज्यादा तेजोमय है, दोनो कानो के कु डल