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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र नं० २२
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ह्रींकारे श्चन्द्रमध्ये पुनरपि वलयं षोडशावर्णपूर्णेर्बाह्याकण्ठैरवेष्ट्यं कमलदलयुतं मूलमन्त्र प्रयुक्तम् । साक्षात् त्रैलोक्यवश्य पुरुषवश कृतं मन्त्र राजेन्द्र राज एतत्स्वरूपं परमपदमिदं पातु मां पार्श्वनाथः ॥२३॥
(२३) द्वितीया के चद्रमा से सहित, मध्य भाग मे श्री धरणेद्र की मूर्ति का आलेखन करे, नाहर सोलह पाखडियो के अन्दर सोलह अक्षर का मत्र लिखे, उसके बाद आठ पाखडियो मे मल मन्त्र लिखे।