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लघुविद्यानुवाद
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मारण, माहन उच्चाटनादिक कर्म का नाश होता है और दुष्टो का नाश होता है । मन्त्र का जाप्य अठारह हजार (१८०००) जाप करके फिर सफेद फूल और सफेद सरसो और नारियल का गोला तीनो को मिलाकर होम करे, तो मन्त्र की सिद्धि होती है। मन्त्र के प्रभाव से वध्या स्त्री पुत्रवान होत है और नौ प्रकार की अग्नि का नाश होता है। इस मन्त्र और काव्य को पास मे रक्खे ।
विधि नं. ३
१६ श्लोक विधि (१६) इस श्लोक का पाठ करने से ध्यान करने से देवो भक्तजनो के शत्रुनो का नाश करती है।
यस्या देवर्नरन्द्ररमरपतिगणैः किन्नरैर्दानवेन्द्रः। ' सिद्धर्नागेन्द्रयक्षनरमुकुटतटैर्धष्टपादार विन्दे । ।
सौम्ये सौभाग्य लक्ष्मी दलित कलिमले ! पद्मकल्याणमाले ! अम्बे ! काले समाधि प्रकट्य परमं रक्ष मां देवि पद्म ॥१७॥
श्लोक नं० १७ (१७) हे माता आपके चरण कमल, देवो, नरेन्द्रो, इन्द्रो, किन्नरो, राक्षसो सिद्धो (मत्रवादि
पुरुषो) नागेन्द्रो, यक्षो और मानवो के मुकुट सहित नमस्कार करने से आपके चरण घिस गये है। हे सौम्य मूर्ति आपका रूप ही सरल है, आप तो सौभाग्य रूपी लक्ष्मी को देने वाली हो, कलिकाल रूपी मल का नाश करने वाली है, कल्याणकारी, कमल पुष्प की माला धारण करने वाली हे माता समय के अनुसार समाधि प्रकट करने वाली
देवी पद्मावति मेरी रक्षा करो ॥१७॥ फल :- इस श्लोक का पाठ करने से शरीर के अनन्त रोग नष्ट होते है।
धूपैश्चन्दन तन्दुलैः शुभमहागन्धैः समन्त्रालिक
नावर्ण फलैंविचित्रसरसै दिव्यमनोहारिभिः । पुष्प नैवेद्यवस्त्रैर्मनुभुवनकरा भक्ति युक्तः प्रदाता राज्ये हेत्वं ग्रहाणे भगवति वरदे ! रक्ष मां देवि ! पद्म ॥१८॥
श्लोकार्थ नं. १८ (१८) हे माता तुम धूप से, सुगन्धित चदन से, अक्षत से. सुगन्धित द्रव्यो से, मन्त्रपर्वक पजित
हो, फिर गुजार करते हुये भ्रमर समूह से वेष्टित स्वादृ मधुर फलो से, दिव्य मुगन्धित,