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लघुविद्यानुवाद
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से जानना, एक, सात, पाच, छैः, पाठ, दस, दस, अठारह, दस । यह हुया यन्त्रोद्धार इस यन्त्र से राज्य के अन्दर बैरी, मारी, सम्पूर्ण भय, सर्प भय, विष भय, सब दूर होता है । इस यन्त्र को कमर मे बाधना, भगन्दर प्लीहा, पेट गोला, कठोदर, जलोदर, वायसूल, पित्तसूल, पक्षाघात, चौरासी प्रकार की वायु नष्ट होती है। इस श्लोक का पाठ करने से साक्षात महादेवी का दर्शन होता है। इस श्लोक को पढते हुये नोम की छाल लेकर झाड़ा देने पर उपरोक्त सर्व रोग नष्ट होते है । जीव को सुख मिलता है, इस चतुर्मुख यन्त्र को गुगुल के रस से भोजपत्र पर लिखे अथवा जलभागरा के रस से, शिला या पीपल के पत्ते पर लिखकर हाथ मे बाधने से और श्लोक को सात बार पढ के झाडा देने से, सर्प भय, विष भय दूर होता है, न अन्यथा जानना ।
यन्त्र नं० १५
पैश्चंदन तदुलै शुभमहा गंधेश्वभन्नालिका
द्र द्रों द्रों द्वाँ
द्रों = राज्यहेत्वांग्रहाणभगवतिवरदेरममावेविपद्मा
द्रौँ द्रौं
द्रों द्रौँ नानावर्णफले विचित्रसरसै:दिव्यंमनोहारिभिः ।।
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राज्य प्राप्ति यन्त्र