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लघुविद्यानुवाद
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ब्रह्माणी कालरात्री भगवति वरदे ! चण्डि चामुण्डि नित्ये मातङ्गो गौरिधारी धृतिमतिविजये कोति ह्रीं स्तुत्यपद्म ! सग्रामे शत्रु मध्ये जलज्वलनजले वेष्टिते तैः स्वरास्त्रोः क्षां क्षीं सूक्षः क्षणार्धक्षत रिपुनिवहे ! रक्ष मां देवि पद्म ।।१४।।
श्लोकार्थ नं० १४ (१४) क्षा क्षी क्ष , इन चार अक्षर मन्त्रो से वेष्टित होती हुई है माता, प्राधे क्षण मे ही
सग्राम के अन्दर शत्रुप्रो के समूह को भगा देने वाली, आप ब्रह्माणो कालरात्रि, भगवतो, वरदा, चडा, चामु डी, नित्या मातगी. गाधारी, धृति, मति, विजया, कीति और ह्री आदि देवियो से पूजित चरण है आपके, हे पद्मावतो माता मेरी अग्नि से और पानी से होने वाले उपद्रवो को नष्ट करो, उनसे हमारी रक्षा करो ॥१४।।
काव्य न. १४
यन्त्र रचना --
एक विशति दल कमल कृत्वा, मध्ये अम्य स्थाप्य कमल दले ॐ ह्री श्री पदमावती सर्व कल्याण रूपे ग रो द्रा द्री द्रो नम लिखेत, तदुपरि षोडश श्री कार वेष्टयेत् तदुपरि काव्य लिखेत, नानाप्रकारेन अष्टद्रव्य पूजन कृत्वा, बीज मन्त्र यन्त्र प्रभावात स्वर्ग लोकस्य, यक्ष, किन्नर, देव, भूत, भैरवादि सिद्धिर्भवति, राजा प्रजा, स्त्री पुरुषादिक सर्व
वश्य भवति, सौभाग्य लक्ष्मी ददाति वदि मोक्ष भवति ।।१४।। फल व साधन विधि -
चतुर्दश काव्यस्य अम्ल्यू बीज माया शक्ति मे एक विंशति अक्षरै । ___मन्त्र :-ॐ । ह्री श्री पद्मावतो सर्व कल्याण रूपे रां री द्रां द्री द्रो नमः अनेन मंत्रोरण
एक विशति सहस्त्रेण २१००० जाप्य कृत्वा उत्तर दिशा मुखं कृत्वा । पोत वस्त्र परिध.न्यः पीत पुष्पे सरसपं च धृत संयुक्त होमयेत सहस्त्र एक विशती। ४६ दिन मध्ये विद्या सिद्धि भवेत् । अस्य विधा प्रभावात् देव : प्रसनं भवति, सोभाग्य, लक्ष्मी, प्राप्तीभ नि । इस यन्त्र को सुगन्धित द्रव्य से भोजपत्र पर लिखकर अप्ट द्रव्य से पूजा करे । अथवा सोना, चाँदो, तॉवा के पत्रे पर यन्त्र लिख कर अष्ट द्रव्य से पूजा करे तो यन्त्र मन्त्र के