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लघुविद्यानुवाद ।
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इस यन्त्र को सुगन्धित द्रव्य से भोज पत्र पर लिख कर लाल फूल और अष्ट द्रव्य से पूजन करे एकाग्र मन से, मन्त्र की साधना करे तो मनवाच्छित कार्य की सिद्धि होय, दिव्य दृष्टि होय । वशीकरण होय। ॐ ह्री पद्मावती उपसर्गभय निवारय हा प्रौ क्ली ह्री नम. इस मन्त्र का बारह हजार उत्तर दिशा मे मुख करके जाप करे (हीरवणी) का होम करे तो विद्या सिद्धी होय । मन मे चितवन करे तो कार्य होय, मिष्टान्न और होम की राख दोनो मिलाकर जिसको
खिलावे पुरुष व स्त्री वश्य हो जाय । नोट :-इस यन्त्र मन्त्र की विधि मे हीरवणी द्रव्य का होम करे लिखा है सो हीरवणी क्या वस्तु
है सो अर्थ समझ मे नही आया हमने भी जैसा था वैसा लिख दिया है। (हीरवणी) शब्द का अर्थ मेवाडी भाषा मे नासिका सू घने वाली को कहते है और गुजराती भाषा मे हीरवणी कपास होता है। यहाँ हीरवणी कपास ही होता है। उसका होम करे।
यन्त्र नं० १३
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ख कोदंडकोडै मुसलहलधेरैवाणनारच चकै।
ॐ शक्ति नमः
मः।
न दुष्टानादारयतिवरभुजललिते रक्षमाँदेविप ॥
क्ली शक्ति
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हाँ शक्ति न शक्त्या सल्यनिशुलैवर फणस सौमुद्रैर्मुष्टिदण्डै॥
मा
सार त HeltikayaNELBIDINIAth
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- मा. यन्त्र