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लघुविद्यानुवाद
रवि हस्त नक्षत्र में अथवा रवि मूल नक्षत्र में वा रवि पुष्यामृतं दिन में जाप करे, काले फूल से होम करे, तो शत्रु मरे, और संग्राम में जय हो । काव्य, यन्त्र, मन्त्र के पढ़ने से और पूजन करने से शत्रु मरे, वा भ्रष्ट होय, शत्र पागल हो जाय, और मन्त्र से मिर्च मन्त्रीत करे, तो शत्रु का मरण
हो जाय । नोट -इस यन्त्र की साधन विधि कभी नही करे, बहुत पाप लगेगा, जो दूसरो को मारता है
वह स्वय मरता है, वीतराग धर्म दया प्रधान धर्म है, मै ग्रन्थकर्ता साधक को इस विधि को करने की कभी प्राज्ञा नही देता।
यन्त्र नं० १२
ब्रह्माणी कालरात्रीभगवलिवरदेचंडिचामुडि नित्ये।।
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ताँतींतूंतःक्षणा क्षतरिपुनिवहेरनमंडेविपो।।
मातर्गाधारिगौरीधृतिमति विजयेकीर्ति हाँस्तुत्यपझे।
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मा० यन्त्र