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लघुविद्यानुवाद
"विस्तीर्णेपद्म" श्लोक नं. ६ विधि न० ३ यन्त्र नं. १
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मनोवांछितदायक यंत्र ( वृत्ति में इस श्लोक का नं० ६ का है )
वृत्तिउपसंहार दिव्यं स्तोत्रं पवित्र, पटुतरपठतां, भक्तिपूर्व त्रिसंध्यम् । लक्ष्मी सौभाग्यरूपं, दलितकलिमलं, मंगलं मंगलानाम् ।। पूज्यं कल्याणमान्यं, जनयति सततं, पार्श्वनाथप्रसादात् । देवी पद्मावती सा, प्रहसित वंदना, या स्तुता दानवेंद्र ॥६॥