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लघुविद्यानुवाद
श्लो. नं. ४ विधि नं. १ यंत्र नं. २
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अपराजिताया
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जयाय
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वशीकरण यंत्र यन्त्र रचना :--
षोडश दल कमल कृत्वा तन्मध्ये प्रों बीज लिखेत, दल मध्ये क्रमश ॐ ह्रीं भ्रां ह्रीं पढ़ें षोडश भुजे प्रौ ह्र ह्र नम एतत्मन्त्र लिखेत तदुपरी पूव क्षा क्षी शू क्षे क्ष , पश्चिमें भ्रा भ्री भ्र भ्र भ्र , दक्षिणे झा झी झ झ झ झ उत्तरे ह्रा ही ह ह ह्र लिखेत्, अय प्रकारेण यन्त्र कृत्वा । काव्य मन्त्र यन्त्र पार्श्व रक्षणात, राजा प्रसन्न भवति शत्रु लाशन भवती, स्त्री पुरुप वश भवती ॥४॥