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लघुविद्यानुवाद
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Khetale
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यह प्रयोग श्लोक नं. ३ के अन्तर्गत लिखा है यन्त्र नं. १
श्लोक न. ३ बृहत यन्त्र विधि .--
अस्य काव्यस्य, श्री बोज, अष्टाक्षरे मन्त्र, ॐ ह्रो पद्म वज्र नमः । अनेन मन्त्रेण एकाशत जाप्य कृत्वा, दक्षिणाभिमुख रूद्राक्षमालाया जाप्य कृत्वा घोरोपसर्ग नाशन भवति अष्टदल कमल यन्त्र कृत्वा, तन्मध्ये श्री बीज लिसेत । ॐ ही पदम वजे नमः अनेन मन्त्रेण अक्षर यन्त्र स्थाप्य । पीत पुष्पेन यन्त्र पूजन कृत्वा नमस्कार कुर्यात ।
उपयुक्त विधि के अनुसार सोने अथवा तावे अथवा चॉदो या भोजपत्र पर सुगन्धित द्रव्य से यन्न लिखकर ॐ ह्री पद्म वजे नम इस मन्त्र को १०८ बार नित्य जपे, रुद्राक्ष की माला से दक्षिण की ओर मुख कर जपने से और यन्त्र मन्त्र को पान में रखने से सर्व धोरोपन दर होवे मुल हो, महाभय दूर हो।
भगो कालो कराली, परिजन सहिते, चंडि चामडि नित्ये ।। माक्षी शूक्षो क्षणार्धक्षतरिपुनिवहे. हो महामत्र वरपे ।।