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________________ ४४६ विधि लघुविद्यानुवाद श्लोकार्थ नं. ३ जिसके हाथ मे कमल है ऐसी है पद्मावति देवि मेरे ब्रह्मा मेरे उपसर्गो को दूर करो आपने पार्श्वनाथ भगवान को मस्तक पर धारण किया है, आप कामदेव के ऊपर विजय प्राप्त करने वाले श्री पार्श्वनाथ भगवान के ऊपर वेडुर्य मरिण के सुन्दर छत्र को धारण करने वाली हो, उस छत्र को मनोहर छोटी २ शब्द करने वाली घटिया बची हुई है, ऐसी हे देवि मेरे उपसर्गो को अवश्य दूर करो । . - इस श्लोक का पठन करने से हर प्रकार के उपसर्ग अवश्य दूर होते है । श्लोक नं. ३ की विधि इस चोर भय यन्त्र से चोरो का निवारण होता है देखे इस श्लोक न. ३ का यन्त्राकार नं. १ । रास्ते मे चोर डाकुओ का भय या गया है ऐसा मालूम पडने पर, रास्ते के ऊपर धनुष्य की आकृति लिखकर नीचे लिखे अनुसार मन्त्र का सात बार जप करना, उससे चोरो के शस्त्रादि चलना बद हो जायेगे, चोरो का भय समाप्त हो जायगा । मन्त्र :- ॐ ह्रीं धनु २ महाधनु सर्व धनु देवि, सर्वेषां दुष्ट चोराणां श्रायुधं बन्ध २ दृष्टि बन्ध २ मुखस्तम्भं कुरु २ स्वाहा । मन्त्र :- ॐ नमो धरणेन्द्राय खड्गविद्याधराय चल २ खड्गं गृह २ स्वाहा ॥ विधि --- इन दो मन्त्रो के जाप से चोरो के धनुष्य बाण, तलवार प्रादि का स्तभन हो जाता है, किसी भी प्रकार के शस्त्रो का उपयोग नही कर सकते है । इन मन्त्रो का तीन दिन मे प्रतिदिन हाथ से १००० जप करके यन्त्र मे धरणेन्द्र पद्मावती का आवाहन कर १००० पुष्पो से पूजा करना चाहिये, मन्त्र सिद्ध होने पर ही प्रयोग से कार्य सिद्ध होता है । चोरी गया धन वापस मिलने के लिये और चोर पकडने के लिये -- मन्त्र :- ॐ कुबेर प्रमुकं चौरं गृह २ स्थापित दर्शय आगच्छ स्वाहा । विधि :-- इस मन्त्र का जाप्य १०००० दस हजार करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है, जब जरूरत राख भरकर उसकी पूजा करना, उसमे कुबेर की जाप्य करना चोर पकडा जायगा, माल मिल पडे तब कटोरे मे अथवा सरावे मे पूजा करना, उसके बाद मन्त्र का जायगा ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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