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लघुविद्यानुवाद
श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० २६
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हॉलवौषट् .
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हालवाषट्
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भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी कम्पविदाहि उपशम हो
विधि -इस यन्त्र को केशर, गोरोचन से, भोजपत्र पर लिखे और भुजा मे धारण करे तो भूत,
प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि के द्वारा पीडित व्यक्ति की, पीड़ा नष्ट हो जाती है।
सिद्धोपदेश है । यानी प्रसिद्ध पुरुषो ने ऐसा कहा है। (२७) बालू की प्रतिमा बनाकर उस प्रतिमा मे ह्री कार देवदत्त सहित लिखे । माया ह्री
बीज से त्रिधा वेष्टित करे । इस यन्त्र को लिखने की विधि :-जिसको आकर्षित करना है, उसके पाव की मिट्टी ( बालु ) लेकर पुतला बनावे, उस पुतले की छाती के ऊपर त्रिकटु के रस से इस यन्त्र को लिखे, उस पुतले के सर्व अगो को कॉटे से बीध करे, उसके बाद एक लोहे के सरिये पर हार के समान उखली के ऊपर लटका देना, फिर नीचे आग लगाना, आंच लगने से व्यक्ति प्राकर्षित होकर आपके पास आ जायगा । देखे यन्त्र न २७ ।