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________________ लघुविद्यानुवाद ४४१ विधि :-इस यन्त्र को ताल पत्र के रस से ताल पत्र की काटे की कलम से लिखकर घडे मे डाले। उस घडे का मुंह कपड़े से ढक देवे तो उच्चाटन होता है । (कही उस घड़े को फोड देवे लिखा है) (२५) ह्री कार में देवदत्त लिखकर, ऊपर चार दलो का कमल बनावे, उन चारो ही दलो मे ह्री को स्थापना करे । यह यन्त्र का स्वरूप हुा । यन्त्र न. २५ देखे । श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० २५ - EVER HALA JBISALESALESEDS-NEED Aliate देवदत्त LE F HDDEAR Am REE ग्रह, भूत, पिशाच, राक्षस, डाकिनी आदि की पीड़ा शांत होती है विधि -इस यन्त्र को केशर गोरोचन से भोजपत्र पर लिखकर हाथ मे धारण करने से ग्रह, भूत, पिशाच, डाकिनी आदि के द्वारा पीडित व्यक्ति को पीडा नही होगी। (२६) ही कार मे देवदत्त लिखे, ऊपर आठ वज्र का चिन्ह बनावे, ऊपर लकार वौपट मध्य मे प्रत्येक मे २ ह्री कार लिखें। याने ह्री, लं वौषट् । ये यन्त्र रचना हुई। यत्र न. २६ देखे ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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