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लघुविद्यानुवाद
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(२२) कम्व्य पीडाक्षर मे देवदत्त गभित करे, ऊपर चतुर्थ दल का कमल बनावे उन दलो मे यं २ लिखे। ये हुई यन्त्रकार की रचना । यन्त्र नं. २२ देखे।
श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० २२
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उच्चाटनकर यन्त्र विधि :-इस यन्त्र को श्मशान के कोयले से नीम के पत्ते के रस से लिखे, कौवे के पख की कलम
से ध्वजा के कपडे पर लिखकर उस ध्वजा को बॉस मे लगाकर बाँध देवे तो शत्रु का
उच्चाटन होता है। (२३) य कार मे देवदत्त नाम गभित करके फिर ऊपर अग्नि मडल बनावे, उस अग्नि मडल
के तीनो कोण मे र कार लिखे। बाहर तीनो हो कोणो मे स्वस्तिक ३ लिखे ।
यन्त्र न २३ देखे । विधि :-इस यन्त्र को विभितक के (हरे के) रस से लिखकर गये के मूत्र से क्षेपण करे तो शत्रु
का उच्चाटन होता है । (कही बहेडा के रस से) (२४) देवदत्त लिखकर ह्रो कार को विधा बेप्टय करे। ये यन्त्र हुवा । यन्त्र न २४ देखे।